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उद्यमी अपने संसाधनों से यूनिट लगाता है और उसमें से तयशुदा बिजली सरकार को कम दाम पर वंचित तबके के लिए देता है। बची बिजली वह मार्केट प्राइस पर बेचने को स्वतंत्र होता है। ये है अमेरिकन और यूरोप का पूंजीवाद, लेकिन अपने देश की सरकारें और बिचौलिए ऐसा असली पूंजीवाद पसंद नहीं करते। उन्हें बीच की दलाली वाला पूंजीवाद का भारतीय संस्करण ज्यादा पसंद है...
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इस दुर्दशा का अंत नहीं
बोर्ड के एग्जाम शुरू हो चुके हैं। पहले ही दिन हिन्दी का पर्चा करीब दो लाख लड़के लड़कियों ने नहीं दिया। आजकल आकाशगामी बातों पर ज़ोर ज्यादा है सो ज़मीनी बातों पर…
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प्रेम के लिए एक दिन ही क्यूँ!
प्रेम तो सिर्फ प्रेम होता है ना कोई स्वार्थ ना ही कोई लालच, न ही पाने की खुशी न ही खोने का डर! प्रेम कोई लक्ष्य तो नहीं जिसे पाना एकदम से जरूरी हो प्रेम तो…
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पढ़े-लिखे लोगों के अपराध
आज कल कोई भी अखबार उठा कर देखें आपको साइबर क्राइम की तमाम ख़बरें देखने को मिलेंगी लेकिन उनमें से कितनों में जांच पूरी होकर अभियुक्त पकड़े गए ये बात डीटेल में नहीं बताई जाती। हम–आप भी इन्हें सरसरी निगाह से देखकर भूल जाते हैं, लेकिन थोड़ा ठहर कर सोचिये तो ये समाज में नयी और निरंतर बढ़ रही प्रवृत्ति की ओर इशारा कर रही हैं...
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हर किसी को हर बार मूर्ख बनाना असम्भव
कहावत है कि किसी व्यक्ति को मूर्ख बनाना सम्भव है, कुछ लोगों को कई बार मूर्ख बनाना सम्भव है लेकिन हर किसी को हर बार मूर्ख बनाना असम्भव है। छोटी सी कहावत है सो…
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समझ में नहीं आतीं ये उलटबासियाँ
पिछले करीब दो दशक से देश की माली हालत ख़ासतौर से चर्चा का विषय होती है। इसमें कम से कम दो बातें साफ़-साफ़ समझ में आती हैं, एक तो साफ़ सुथरी अंग्रेज़ी में धीरे-धीरे…
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संस्कृति स्कूल सुधार पायेगा कार्य संस्कृति ?
जब अँगरेज़ हिंदुस्तान पर कब्ज़े के बाद यहाँ के शासन को व्यवस्थित करने में जुटे थे। उनकी अपनी प्राथमिकताएं थीं और तदनुसार वे संस्थाएं गढ़ रहे थे। आन्तरिक प्रशासन बनाए रखना और मालगुजारी इकठ्ठा करना...
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सतरंगे मास्टरों की बदरंगी दास्तान
हम लोगों के बचपने में शिक्षा व्यवस्था बहुत सपाट सी हुआ करती थी मिडिल, इन्टर और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई होती थी जिनको मास्टर, प्रवक्ता और प्रोफेसर साहब पढ़ाया करते…
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सुनहु तात, अब पौध कहानी
महाराष्ट्र में पिछले साल 30 करोड़ पौधे सरकार ने लगाए और इस साल 33 करोड़ पौधे लगाने के बाद ही वहां की सरकार विश्राम करेगी। सरकार है जो भी करेगी बड़ा ही करेगी यानी…
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कहां गई बदजबानी, वो रूठना और वो मनाना
बहुत पुरानी बात नहीं है। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। पूर्णबहुमत की सरकार होने और मुख्यमंत्री के चाचा होने के नाते आली जनाब आजम खान साहेब का जाहोजलाल भी उरूज पर था। ऐसे में रहनुमाए मिल्लत और अव्वल-ए-बदजबानी आली जनाब मोहतरम आजम खान साहेब ने खुद को बनाने वाले नेता जी मुलायम सिंह यादव के प्रति आभार प्रदर्शन करना मुनासिब समझा। वे नेता जी को रामपुर ले गए…
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धंधा है, तो गन्दा भी होगा
बहुत पहले मेरे बचपने में दादी ने कोई मनौती मानी थी और वो पूरी हो गयी रही होगी तो पूरा परिवार तीर्थ यात्रा पर गया था| मै काफी छोटा था लेकिन मुझे पूरी तरह याद है…
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एक सजावटी मंत्री की उदास मृत्यु
आमतौर पर मैं ऐसे विषयों पर नहीं लिखता, लेकिन कभी-कभी नियम तोड़ना चाहिए। अपने यहाँ परंपरा है, मृत्यु के बाद किसी की कमियों या दुष्टता पर चर्चा नहीं की जाती। उसके…
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साइट चलाने की बारी अब आपकी
भाइयों यह साइट आपके लिए ही बनाई गयी है। देखने से लग रहा है की अब यह ठीक-ठाक पढ़ी जा रही है। इसलिए अब साइट का दूसरा चरण शुरू करना है। यह काम आपको करना है। आपके इलाके में बहुत कुछ ऐसा होगा जो आप चाहते होंगे की और लोग भी जानें, लेकिन जान नहीं पाते। उसे लिखकर हमारे पास मेल आईडी munna12345anand@gmail.com पर भेज दीजिये। सबजेक्ट में ‘गोल्डेन टॉक में प्रकाशन के लिए’ लिखना न भूलें। उसे इस साइट पर प्रकाशित करने की ज़िम्मेदारी हमारी। इस संबंध में आप जो भी जानकारी चाहें मुझसे मोबाइल नंबर +91-7521924486 पर ले सकते हैं। गुज़ारिश है इस साइट से गंभीरता से जुड़ें। यकीन जानिए कालांतर में समाज को, आप को और हमको लाभ ही होगा।
धन्यवाद
अनेहस शाश्वत
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- “बेस्ट बिफोर डेट” प्रदर्शित करना हुआ अनिवार्य
- प्रधानमंत्री ने पोषण जागरूकता को जन आंदोलन बनाने में पोषण माह के महत्व पर प्रकाश डाला
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