सब लोगों से दोस्ती, सब लोगों से बैर
खुशवंत सिंह साहब का पहला उपन्यास जो मैंने पढ़ा, वो इत्तिफाकन पढ़ा। मैं उस समय बीए में पढ़ता था, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर में। खुशवंत सिंह के कॉलम के हिन्दी अनुवाद, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर का मैं नियमित पाठक था और वो अंग्रेजी के…