हालांकि मेरी कोई हैसियत नहीं, लेकिन भारत का नागरिक और मतदाता तो हूं ही, इस नाते थोड़ा बहुत कुछ कहने का अधिकार फिलहाल तो मेरे पास है ही। जब योगी जी आए थे तो उसी अधिकार से मैंने कहा था की कम से कम छह माह तक योगी जी के कामकाज पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इतना समय तो उन्हें चीज़ों को समझने के लिए चाहिए ही। इसलिए शुरुआती कमियों को नजर अंदाज करना उचित होगा। अब जैसे यही की आते ही आते योगी जी ने तीन रुपए में नाश्ता और पांच रुपए में भोजन देने की घोषणा कर दी थी। बाद में ठंडे दिमाग से सोचने पर उन्हें लगा होगा कि उत्साह में की गई इस योजना पर अमल संभव नहीं, सो वह योजना शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई।
लेकिन कहीं न कहीं ये योजना उस नज़रिए की झलक दिखा गई, जिस नज़रिए से योगी जी ने उत्तर प्रदेश की सेवा की और अब उनका सेवा काल समाप्ति की ओर है। नित नई अचंभित करने वाली घोषणाएं महात्मा जी के सेवा काल की खासियत रही है। शुरुआत ही रोमियो स्क्वॉड से हुई और बल भर बालक गण थुरे गए और बालिकाओं को अपमानित कर उनके माँ-बाप को सौंप दिया गया। कुछ महीने पुलिस वालों ने हाथ साफ किया, फिर समझ में आया होगा कि यह व्यर्थ की कवायद है तो रोमियो स्क्वॉड गायब हुआ और बालक-बालिकाओं की जान मे जान आई। वैसे इस मोबाइल युग में रोमियो स्क्वॉड की योजना रोमांचकारी तो थी ही, जिसने कुछ दिन लोगों का दमन और मनोरंजन दोनों ही भरपूर किया।
राजा है तो मंत्रियों की कमी नहीं, शायद किसी उत्साही मंत्री ने सलाह दी होगी कि महाराज रोमियो स्क्वाड के बजाय बालिकाओं की अहरनिश सुरक्षा के लिए चौकियां बना दी जाएं तो कुछ बात बने। आनन फानन पिंक बूथ नाम से आकर्षक चौकियां बना दी गई, बगैर ये सोचे कि इनमें बैठने के लिए महिला पुलिस कर्मी कहां से आएंगी? नतीजा वही हुआ जो होना था, अब कुछ को छोड़ ज्यादातर बूथ गोदाम में बदल गए हैं। मुझे पता नहीं लेकिन कोई बता रहा था कि प्रति बूथ साढ़े सात लाख रुपए की लागत आई है। ऐसे में मेरा सुझाव है कि इन बूथ को बाहर से लखनऊ पढ़ने आने वाले बालकों को अलॉट कर दिया जाय तो इनका उपयोग भी होगा और भाजपा को कुछ हजार वोट भी एक्स्ट्रा मिल जाएंगे।
ऐसे ही बेरोजगारी की समस्या को भी योगी जी ने अपने चमत्कारी सहायक सहगल साहब के चमत्कार से चुटकियों में हल कर दिया। लाखों लघु उद्यमों में करीब दो करोड़ युवाओं को रोजगार दे दिया गया, सरकार कह रही है तो इन आंकड़ों को मानने में ही बुद्धिमानी और भलाई दोनों है, वैसे भी नित नए विज्ञापनों की चकाचौंध आपको मानने को मजबूर कर ही देगी कि अब अपने सूबे में बेरोजगार कोई नहीं सब बारोजगार हैं। बाकी रही सही कसर वो कंपनियां पूरी कर देंगी जो महाराज जी के बुलावे पर उत्तर प्रदेश में कारखाने लगाने को दौड़ी चली आ रही हैं। ध्यान से देखें तो सूबे की कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका महाराज जी ने अपने योग्य मंत्रियों से मंत्रणा करके अचंभित करने वाला समाधान न निकाला हो।
जब लोगों ने हल्ला मचाया कि महाराज जी के सेवा काल में लोगों को नौकरियां नहीं मिली तो बाकायदा गिन कर बता दिया गया कि करीब पांच लाख सरकारी नौकरी दी जा चुकी है और लाखों नई नौकरियां के लिए विज्ञापन दिया जा चुका है सो देर सबेर नौकरियां भी मिल ही जाएंगी। अखबारों और होर्डिंग्स के माध्यम से रात दिन लोगों को बताया जा रहा है कि महाराज जी की मंशा पर संदेह न करें, अनंत उपलब्धियां गिना कर बताया जा रहा है कि महाराज जी कातर जन की सेवा में दिन रात जुटे हैं। धन्य हैं अपने सहगल साहब भी जो महाराज जी की सेवाओं को जन जन तक पहुंचाने में दिन रात नहीं देख रहे। इसी तरह सारी समस्याओं का समाधान निकालने में योगी जी ने कसर नहीं छोड़ी।
पिंक बूथ के ही उदाहरण से समझें, छेड़खानी की समस्या का परमानेंट हल निकालने को ये बने, अब पिछली सरकारों की कारगुज़ारी से अगर पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस नहीं है तो इसमें महाराज जी क्या करें? कांग्रेस समेत पिछली सरकारें इतना कूड़ा फैला गई हैं कि उनको साफ करते करते ही पांच साल बीत गए। महाराज जी और उनके मंत्रियों को साधुवाद कि पचासों साल की अराजकता से लड़ कर उन्होंने जनकल्याण किया, रह गया नाकारा विपक्ष और सतत शिकायती आम जन तो उनकी बात करना ही व्यर्थ है, वे तो बने ही सदा असंतुष्ट रहने के लिए हैं, इसलिए उन पर कतई ध्यान मत दीजिए।